
अपनी लम्बी यात्रा के दौरान, सुरंगों के अंधेरे से लेकर खुले मैदानों की धूप तक, जलक ने कई रूप देखे और कई अनुभव किए. अब, उसकी छोटी सी नदी धीरे-धीरे चौड़ी होती जा रही थी, और पानी का बहाव भी अधिक शक्तिशाली महसूस हो रहा था. हवा से दोस्ती ने उसे दूर क्षितिज की एक धुंधली सी झलक दिखाई थी – एक विशाल जलराशि, जहाँ उसकी यात्रा का अगला पड़ाव था.
एक सुबह, जब सूरज बादलों से झाँक रहा था, जलक ने महसूस किया कि उसकी धारा एक बहुत बड़े जल निकाय में मिल रही है. यह एक ऐसा संगम था जहाँ उसकी छोटी नदी एक विशाल नदी में समा रही थी. यह दृश्य अद्भुत था. बड़ी नदी बहुत चौड़ी थी, इतनी चौड़ी कि उसका दूसरा किनारा धुंधला दिखाई दे रहा था. पानी गहरा और शांत था, लेकिन उसमें एक शक्तिशाली अंतर्धारा महसूस हो रही थी.
जब जलक की धारा बड़ी नदी में मिली, तो ऐसा लगा जैसे एक छोटी सी आवाज़ एक बड़े संगीत में विलीन हो गई हो. उसकी पहचान खो नहीं गई, बल्कि एक बड़े और व्यापक अस्तित्व का हिस्सा बन गई. यहाँ अनगिनत अन्य धाराएँ और छोटी नदियाँ आकर मिल रही थीं, हर एक अपने साथ अपनी यात्रा की कहानियाँ और अपने स्रोतों का अनूठापन लेकर.
बड़ी नदी का पानी अलग-अलग रंगों का मिश्रण लग रहा था – कहीं उसकी नदी का हल्का नीला रंग घुल रहा था, तो कहीं किसी पहाड़ी झरने का क्रिस्टल स्पष्ट पानी, और कहीं मैदानी इलाकों से बहकर आई मिट्टी के कारण हल्का भूरापन था. यह एक विशाल परिवार जैसा था, जहाँ हर सदस्य अपनी विशेषता के साथ मिलकर एक बड़ा और शक्तिशाली प्रवाह बना रहा था.
जलक ने महसूस किया कि यहाँ पानी की मात्रा बहुत ज़्यादा है. लहरें अब बड़ी और अधिक लयबद्ध थीं. उसने बड़े-बड़े जहाजों को दूर से तैरते हुए देखा, ऐसे जीव देखे जो उसकी छोटी नदी में नहीं थे – बड़ी मछलियाँ, तैरते हुए पक्षी, और किनारों पर घने पेड़.
इस संगम पर, जलक को एक नई तरह की शांति महसूस हुई. उसकी लम्बी यात्रा के कई पड़ाव थे, हर एक का अपना महत्व था, लेकिन यहाँ पहुँचकर उसे एक तरह की पूर्णता का अनुभव हुआ. वह अब उस बड़ी नदी का हिस्सा थी, जिसके बारे में उसने कभी सुना था.
बड़ी नदी का प्रवाह धीमा लेकिन दृढ़ था, एक अटूट गति जो दूर, बहुत दूर तक जा रही थी. जलक को महसूस हुआ कि यह नदी उसे और भी बड़ी यात्रा पर ले जाएगी, एक ऐसे अंत की ओर जो अभी भी अज्ञात था, लेकिन जिसकी विशालता का अनुमान लगाया जा सकता था.
इस संगम पर, जलक ने अपने कुएँ को याद किया, अपनी पहली छोटी यात्रा को याद किया, सुरंग के रहस्यों को, दृष्टिहीन ज्ञानी के ज्ञान को, और हवा से अपनी दोस्ती को. ये सभी अनुभव उसकी इस बड़ी यात्रा का हिस्सा थे, और उन्होंने उसे यहाँ तक पहुँचाया था.
बड़ी नदी में शामिल होकर, जलक ने महसूस किया कि हर अंत वास्तव में एक नई शुरुआत होती है. उसकी कुएँ से शुरू हुई यात्रा अब एक विशाल और अनन्त जलमार्ग का हिस्सा बन गई थी.
शेष भाग अगले अंक में…,