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एक सफर…

सुरंग के रहस्य

अंधेरी सुरंग में प्रवेश करने के बाद, जलक और उसकी साथी बूँदें एक ऐसे संसार में पहुँच गईं जो कुएँ की जानी-पहचानी दुनिया से बिल्कुल अलग था. यहाँ रोशनी का नामों-निशान नहीं था, केवल पत्थरों की खुरदरी सतह और लगातार बहते पानी की सरसराहट थी. सुरंग संकरी और घुमावदार थी, जैसे किसी विशालकाय साँप ने धरती के नीचे अपना रास्ता बनाया हो.

पानी की धारा कभी धीमी हो जाती, मानो किसी बाधा का सामना कर रही हो, और फिर अचानक तेज़ हो जाती, जैसे किसी ढलान से नीचे उतर रही हो. जलक और उसकी साथी बूँदें एक-दूसरे से टकराती हुईं, पत्थरों से रगड़ खाती हुईं, आगे बढ़ रही थीं। इस अंधेरे में, उनकी एकमात्र पहचान एक-दूसरे की उपस्थिति और पानी के लगातार बहने की आवाज़ थी.

सुरंग की दीवारों से अजीब-अजीब सी आवाज़ें आ रही थीं. कभी किसी पत्थर के टूटने की हल्की कर्कराहट सुनाई देती, तो कभी दूर से पानी के टपकने की लयबद्ध ध्वनि. जलक ने अपनी सूक्ष्म ‘भावनाओं’ से महसूस किया कि सुरंग के भीतर कई छोटे-छोटे रास्ते और शाखाएँ होंगी, जिनसे अन्य बूँदें आकर उनकी धारा में मिल रही थीं.

इस अंधेरे में भी, एक अजीब तरह की चमक कभी-कभी दिखाई देती थी. सुरंग की दीवारों पर कुछ ऐसे खनिज थे जो हल्की सी हरी या नीली रोशनी उत्सर्जित करते थे. यह रोशनी इतनी मंद थी कि पूरी तरह से कुछ दिखाई नहीं देता था, लेकिन इसने अंधेरे में एक रहस्यमय और जादुई माहौल ज़रूर बना दिया था. जलक ने ऐसे छोटे-छोटे चमकते बिंदुओं को देखकर आश्चर्य महसूस किया, यह धरती के नीचे छिपी हुई सुंदरता का एक अप्रत्याशित प्रदर्शन था.

एक बार, उनकी धारा एक ऐसे मोड़ पर पहुँच गई जहाँ रास्ता बहुत संकरा हो गया. बड़ी-बड़ी चट्टानें आपस में इतनी सटी हुई थीं कि पानी को निकलने के लिए बहुत कम जगह बची थी. जलक और उसकी साथी बूँदें एक-दूसरे से और भी ज़्यादा चिपक गईं, किसी तरह उस तंग जगह से निकलने की कोशिश कर रही थीं. यह एक चुनौतीपूर्ण क्षण था, और जलक को लगा कि शायद वे यहीं फंस जाएँगी. लेकिन पानी का लगातार दबाव और एक-दूसरे के साथ बने रहने की उनकी सामूहिक इच्छा ने उन्हें धीरे-धीरे उस संकरे रास्ते से पार करा दिया.

इस सुरंग में, जलक ने महसूस किया कि यह सिर्फ एक भौतिक मार्ग नहीं है, बल्कि रहस्यों से भरा हुआ एक अलग संसार है. यहाँ की शांति और अंधकार में एक अजीब तरह की शक्ति थी, एक ऐसा एहसास जो ऊपर की दुनिया में कभी महसूस नहीं हुआ था. यह एक ऐसी जगह थी जहाँ समय धीमा हो गया था, और हर छोटी सी घटना – एक बूँद का टपकना, पानी का हल्का सा भंवर – भी महत्वपूर्ण लग रहा था.

सुरंग के रहस्य जलक को और भी ज़्यादा जिज्ञासु बना रहे थे. वह जानना चाहती थी कि इस अंधेरे के बाद क्या आएगा, यह रास्ता उन्हें कहाँ ले जाएगा. हर मोड़, हर आवाज़, हर चमक उसे उस अज्ञात नदी के करीब महसूस करा रही थी, जो उसकी यात्रा का अंतिम लक्ष्य थी.

शेष भाग अगले अंक में…,

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