
रवि के जीवन में संघर्षों की कोई कमी नहीं थी. समुद्र की लहरों की तरह, उसकी जिंदगी भी उतार-चढ़ाव से भरी थी. लेकिन हर कठिनाई ने उसे मानसिक रूप से और अधिक मजबूत बनाया.
जब रवि पहली बार समुद्र के क्रूर स्वभाव से रूबरू हुआ, उसने जाना कि केवल शारीरिक ताकत ही नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता भी आवश्यक है. हर तूफान के बाद वह और अधिक सतर्क और अनुभवी बनता गया. समुद्र में कई बार उसकी नाव डगमगाई, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी. उसने सीखा कि घबराहट से कुछ नहीं मिलेगा—बल्कि धैर्य और आत्मविश्वास ही उसे सुरक्षित किनारे तक पहुँचा सकते हैं.
समय के साथ, रवि ने अपने भीतर एक अटूट विश्वास विकसित किया. वह जानता था कि कठिनाइयाँ केवल उसे और अधिक मजबूत बनाने के लिए आती हैं. उसने अपने अनुभवों से सीखा कि हर समस्या का समाधान होता है, बस सही दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है.
अब रवि केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन चुका था. वह नए नाविकों को सिखाता कि समुद्र से डरने की जरूरत नहीं, बल्कि उसे समझने और उसके साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है.
शेष भाग अगले अंक में…,