
भ्रष्टाचार: देश का असली अपडेटेड सॉफ़्टवेयर
अगर भ्रष्टाचार नामक कोई शख्स होता, तो आज तक उसे ‘रत्न’ या ‘पद्मश्री’ मिल चुका होता! क्योंकि यही एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ ‘मेहनत-मशक्कत’ और ‘इनोवेशन’ की कोई कमी नहीं. चाहे सरकार बदल जाए, नेता बदल जाएँ, यहाँ तक कि देश का नाम भी बदल जाए… पर भ्रष्टाचार का ‘पैकेज’ हमेशा अपग्रेड होता रहता है!
- ‘छोटे-मोटे’ भ्रष्टाचार? नहीं, ये ‘स्टार्ट-अप्स कल्चर’ है!
बाबू जी फाइल आगे बढ़ाने के लिए ‘चाय-पानी’ माँगते हैं.
ट्रैफिक वाला ‘गलती माफ़ी’ के नाम पर हर महीने नया iPhone खरीद लेता है.
सरकारी स्कूल का मिड-डे मील ठेकेदार ‘पोषण’ के नाम पर पानी में नमक घोलकर बच्चों को परोस देता है.
ये कोई भ्रष्टाचार नहीं, ये तो ‘जुगाड़ इकोनॉमी’ है! और हम भारतीयों को जुगाड़ से प्यार है ना?
- बड़े खिलाड़ी: ‘कॉरपोरेट एथलीट्स’
2G, 3G, 4G… अब 5G स्कैम! (स्पीड बढ़ती जाए, घोटालों का साइज़ भी बढ़ता जाए.)
बैंक लोन माफ़ी = “अमीरों का डिफ़ॉल्टर बनना, गरीबों का टैक्स भरना.”
कोयला घोटाला, राफेल डील, पीएम केजी… नाम बदलते रहो, गेम वही रहता है!
यहाँ तो ‘ऑल इंडिया करप्शन चैंपियनशिप’ चलती है, जहाँ हर साल नया रिकॉर्ड बनता है.
- ‘भ्रष्टाचार बनाम जनता’: एक अनोखा रिश्ता
जनता: “साहब, ये तो बहुत बड़ा घोटाला हो गया!”
नेता: “अरे, इसमें नया क्या है? चलो अगले मुद्दे पर बात करते हैं.”
मीडिया: (एक हफ्ते तक चिल्लाकर) “ये सरकार बर्बाद कर देगी!” फिर… ‘Breaking News’ – “किसी सेलेब की शादी में किसने क्या पहना?”
जनता ‘टीवी डिबेट’ देखकर गुस्सा होती है, सोशल मीडिया पर रोष जताती है, और फिर… अगले चुनाव में वही नेताओं को वोट दे देती है!
- ‘भ्रष्टाचार रोकने के उपाय’ (जो कभी काम नहीं करते)
लोकपाल बिल: जनता की उम्मीदें → सरकार की फाइलों में दब गईं.
नोटबंदी: “काले धन पर वार!” परिणाम? “काले धन ने सफेद होकर वापसी कर ली!”
डिजिटल इंडिया: ऑनलाइन रिश्वत के लिए UPI पेमेंट शुरू! (कमिशन अब डिजिटल!)
- भ्रष्टाचार का ‘गोल्डन फ्यूचर’
आने वाले समय में:
AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल ऑटोमेटेड घोटाले करने के लिए होगा.
मेटावर्स में वर्चुअल रिश्वत दी जाएगी.
क्रिप्टोकरेंसी से ‘अनट्रेसेबल’ भ्रष्टाचार होगा.
“तकनीक बदलेगी, तरीके बदलेंगे… पर भ्रष्टाचार का ‘देशी स्वाद’ कभी नहीं बदलेगा!”
भ्रष्टाचार इस देश की ‘राष्ट्रीय परंपरा’ बन चुका है. इसे खत्म करने की नहीं, ‘मैनेज’ करने की ज़रूरत है. क्योंकि जब तक ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ का सिस्टम है, तब तक…
“भ्रष्टाचार हमारा मिशन नहीं, पैशन है!”
संजय कुमार सिंह,
संस्थापक, ब्रह्म बाबा सेवा एवं शोध संस्थान निरोग धाम
अलावलपुर पटना.