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व्यक्ति विशेष

भाग – 389.

रतनजी टाटा

रतनजी टाटा जमशेदजी नासरवानजी टाटा के पुत्र और टाटा समूह के संस्थापक थे. उन्होंने भारत में टाटा समूह के विकास में एक निर्णायक भूमिका निभाई थी. रतनजी टाटा का जन्म 20 जनवरी 1871 को हुआ था. रतनजी टाटा जमशेदजी टाटा के पुत्र थे. उन्होंने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में प्राप्त की.

रतनजी टाटा ने टाटा परिवार के सदस्य के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. उन्होंने अपनी पढ़ाई के बाद मास्टर्स इन ऑर्चिटेक्चर की डिग्री प्राप्त की और फिर व्यापार में कैरियर बनाया. टाटा ऐंड कंपनी के साझीदार होने के साथ ही ये इंडियन होस्टल्स कंपनी लिमिटेड, टाटा लिमिटेड, लंदन टाटा आयरन ऐंड स्टील वर्क्स साकची, दि टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड, इंडिया, के डाइरेक्टर भी थे रतनजी टाटा.

टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO): रतनजी टाटा ने TISCO को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह कंपनी भारत की पहली आधुनिक इस्पात कंपनी थी और इसने भारतीय उद्योग को एक नई दिशा दी. उन्होंने इस कंपनी की स्थापना करके भारत में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति ला दी. उन्होंने भारतीय होटल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए टाटा इंडियन होटल्स की स्थापना की.रतनजी टाटा सिर्फ एक उद्योगपति ही नहीं थे, बल्कि एक महान परोपकारी भी थे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए.

रतनजी टाटा की विरासत आज भी टाटा समूह में देखी जा सकती है. उनकी दूरदर्शिता और उद्यमशीलता ने टाटा समूह को एक वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख समूह बनाया. भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई में हुआ था.

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राजनीतिज्ञ के. सी. अब्राहम

के.सी. अब्राहम (K.C. Abraham) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे. वे केरल राज्य के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और विधायक भी रहे हैं.

के.सी. अब्राहम का जन्म 20 जनवरी 1899  को हुआ था. उन्होंने केरल के राजनीतिक स्तर पर अपनी कैरियर की शुरुआत की और केरल समाज के लिए कई महत्वपूर्ण समाजसेवा कार्यों में भी भाग लिया. अब्राहम का नाम विशेष रूप से आपूर्ति और प्रविधि मंत्रालय के एक सदस्य के रूप में प्रसिद्ध है, जो भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कैबिनेट में कार्यरत थे. उन्होंने कैबिनेट सचिव के रूप में भी काम किया और विभिन्न कृषि और उपभोक्ता मुद्दों पर उनकी सलाह दी.

के.सी. अब्राहम का नाम उनके समाज सेवा कार्यों के लिए भी जाना जाता है, और उन्होंने उन विधायकों के लिए भी काम किया जो केरल के विकास और सामाजिक न्याय के मामले में सक्रिय रहे. उनका निधन 14 मार्च 1988 को हुआ था. लेकिन उनकी सामाजिक और राजनीतिक यात्रा का योगदान आज भी याद किया जाता है.

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नाटककार रतन थियम

रतन थियम एक भारतीय नाटककार और थिएटर निर्देशक हैं, जिन्होंने भारतीय रंगमंच में “थिएटर ऑफ़ रूट्स” आंदोलन के अग्रणी हस्तियों में से एक के रूप में अपनी पहचान बनाई है. वर्ष 1970 के दशक में शुरू हुआ यह आंदोलन भारतीय संस्कृति और परंपराओं से प्रेरित था और रतन थियम ने इस आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.

रतन थियम का जन्म 20 जनवरी 1948 को मणिपुर में हुआ था. रतन थियम को लेखन और मंचन में प्राचीन भारतीय थिएटर परंपरा के प्रयोग के लिए जाना जाता है.

रतन थियम पारंपरिक संस्कृत नाटकों को उनकी आधुनिक व्याख्या के साथ प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं. वे अपनी प्रस्तुतियों में रंग-संयोजन और लय का अद्वितीय उपयोग करते हैं, जिससे उनके नाटक दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. वो एक नाटककार ही नहीं, बल्कि एक चित्रकार और कवि भी हैं। वे अपनी कला को अपने नाटकों में बखूबी पिरोते हैं. वो हमेशा समाज में हो रहे परिवर्तनों और चुनौतियों से प्रभावित रहे हैं. उनके नाटक समाज के विभिन्न मुद्दों पर व्यंग्य करते हैं और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते हैं.

रतन थियम पिछले चार दशकों से रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय हैं. उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन किया है और भारतीय रंगमंच को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. रतन थियम एक ऐसे नाटककार हैं जिन्होंने भारतीय रंगमंच को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. उनकी रचनात्मकता, दूरदर्शिता और समाज के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें भारतीय रंगमंच का एक चमकदार सितारा बनाया है.

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साहित्यकार स्वयं प्रकाश

स्वयं प्रकाश एक भारतीय साहित्यकार और कवि थे, जिन्होंने अपनी कला और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया था. उनका जन्म 20 जनवरी 1947 को हुआ था और उनका निधन 4 दिसम्बर 1981 को हुआ.

स्वयं प्रकाश का जीवन और साहित्यकार्य कुछ रूपों में अद्वितीय था. उन्होंने अपने जीवन के दौरान हिन्दी और उर्दू कविता, कहानी, और निबंधों का रचनात्मक कार्य किया और उनकी रचनाएँ भारतीय साहित्य के अनुपम हिस्से में शामिल हैं. स्वयं प्रकाश का रचनात्मक कार्य मुख्य रूप से उर्दू साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध है, और उन्होंने कविता, ग़ज़ल, और नज़्म के माध्यम से अपने भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त किया. उनके कविताओं में धार्मिक और आध्यात्मिक तत्व भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे.

स्वयं प्रकाश की कुछ प्रमुख कृतियाँ उनकी कविता संग्रह “संजीवनी” और “आत्मिका” हैं, जो उनके साहित्य कला को प्रमुख रूप से प्रस्तुत करती हैं. उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से साहित्य की दुनिया में अपनी मान्यता प्राप्त की और भारतीय साहित्यकारों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया.

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अभिनेत्री नादिरा बब्बर

नादिरा बब्बर एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और थिएटर कलाकार हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा और रंगमंच दोनों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. वह न केवल एक सफल अभिनेत्री हैं बल्कि एक कुशल निर्देशक और थिएटर ग्रुप की संस्थापक भी हैं.

नादिरा बब्बर का जन्म 20 जनवरी 1948 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने अभिनय की बारीकियों को नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से सीखा. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एकजुट थिएटर ग्रुप से की थी, जिसकी स्थापना उन्होंने स्वयं की थी. इस ग्रुप के माध्यम से उन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया और निर्देशन भी किया.

थिएटर के बाद नादिरा ने हिंदी सिनेमा में भी कदम रखा. उन्होंने कई फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं और अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता. उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई यादगार भूमिकाएं निभाईं.

फिल्में: – जय हो, प्राइड एंड प्र्ज्युदिस आदि.

नादिरा बब्बर सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं बल्कि एक समाज सेवी भी हैं. उन्होंने कई सामाजिक कार्यों में भाग लिया है. नादिरा बब्बर की शादी अभिनेता और राजनेता राज बब्बर से हुई है. उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा आर्य और एक बेटी जूही. नादिरा बब्बर को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार.

नादिरा बब्बर एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. उन्होंने हिंदी सिनेमा और रंगमंच दोनों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. वह न केवल एक सफल अभिनेत्री हैं बल्कि एक कुशल निर्देशक और थिएटर ग्रुप की संस्थापक भी हैं. उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

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अभिनेता राजेश कुमार

राजेश कुमार एक भारतीय अभिनेता और निर्माता हैं, जो भारतीय टेलीविजन पर अपने कॉमिक रोल के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने “बा बहू और बेबी” और “साराभाई वर्सेस साराभाई” जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है.

राजेश कुमार का जन्म 11 अक्टूबर 1975 को पटना में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अपनी शिक्षा ग्रहण की.  राजेश कुमार ने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन से की. उन्होंने कई धारावाहिकों में काम किया लेकिन उन्हें असली पहचान “बा बहू और बेबी” में सुबोध ठाकुर की भूमिका से मिली. उन्होंने “साराभाई वर्सेस साराभाई” में रोसेश साराभाई का किरदार निभाकर उन्होंने घर-घर में अपनी पहचान बना ली. इस किरदार ने उन्हें एक कॉमेडियन के रूप में स्थापित किया.

 राजेश कुमार कॉमेडी के क्षेत्र में एक माहिर कलाकार हैं. उनकी कॉमिक टाइमिंग और एक्सप्रेशंस दर्शकों को खूब पसंद आते हैं. उन्होंने कई लोकप्रिय धारावाहिकों में काम किया है, जिनमें “बा बहू और बेबी”, “साराभाई वर्सेस साराभाई”, “यह मेरी फैमिली है” आदि शामिल हैं. राजेश कुमार ने कई नए कलाकारों को मौका दिया है और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान किया है.

राजेश कुमार को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. राजेश कुमार भारतीय टेलीविजन का एक जाना माना नाम हैं. उन्होंने अपने कॉमिक रोल से दर्शकों का मनोरंजन किया है और भारतीय टेलीविजन के इतिहास में अपना एक खास मुकाम बनाया है.

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राजनीतिज्ञ हरविलास शारदा

हरविलास शारदा एक भारतीय शिक्षाविद, न्यायधीश, राजनेता और समाज सुधारक थे. उन्हें मुख्यतः बाल विवाह के खिलाफ अपने अथक प्रयासों और ‘शारदा एक्ट’ के निर्माण के लिए जाना जाता है.

हरविलास शारदा का जन्म 3 जून, 1867 ई. को अजमेर, राजस्थान में हुआ था. अपने पिता से महाभारत और रामायण की कहानियाँ सुनकर उनके अंदर हिंदुत्व के संस्कार पुष्ट हुआ. उन्होंने आगरा कॉलेज से अंग्रेजी ऑनर्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की.

शारदा आर्य समाज के कट्टर अनुयायी थे और उन्होंने समाज के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. उन्होंने बाल विवाह को एक सामाजिक बुराई मानते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाई. उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही वर्ष 1929 में ‘शारदा एक्ट’ पारित हुआ, जिसने भारत में बाल विवाह को गैरकानूनी बना दिया. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए भी काम किया.

हरविलास शारदा अजमेर-मारवाड़ से केंद्रीय विधानसभा के सदस्य रहे. उन्होंने राजनीति को एक माध्यम बनाया समाज में सुधार लाने का. उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें हिंदू श्रेष्ठता, अजमेर: ऐतिहासिक और वर्णनात्मक, महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा और रणथंभौर के महाराजा हम्मीर शामिल हैं.

हरविलास शारदा का निधन  20 जनवरी 1955 को हुआ था. हरविलास शारदा एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने बाल विवाह जैसी कुरीति के खिलाफ लड़ाई लड़ी और समाज में सुधार लाने के लिए अथक प्रयास किए. उनकी विरासत आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है.

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स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान

स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान जिन्हें बाद में “बाचा ख़ान” के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण संघर्षक थे और अपने नेतृत्व में पश्चिमी भारत के पठान क्षेत्र के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में जुटने के लिए प्रोत्साहित किया.

अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का जन्म 1890 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था. उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर असहमति सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया और अपने सजीव असहमति के लिए जाने जाते थे. अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का सबसे प्रमुख योगदान यह था कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान “खुदाइ खिदमतगार” (सर्वोधयक सेवक) संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण सेवाओं की प्रोत्साहन करना और असहमति सत्याग्रह के लिए लोगों को तैयार करना था. उन्होंने अपने संगठन के सदस्यों को अमरान्थ यात्रा और दांडी मार्च जैसे महत्वपूर्ण स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने के लिए मोबाइलाइज किया.

अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को “सरदार-ए-ख़दीम” (सेनानी का नेता) के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें गांधीजी के सबसे निष्कलंक सहयोगी में से एक माना जाता है. उन्होंने अपने जीवन में असहमति और अंधविश्वास के खिलाफ खड़े होकर महत्वपूर्ण योगदान किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 20 जनवरी 1988 में अपने जीवन की आखिरी सांस ली.

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राजनीतिज्ञ बिन्देश्वरी दुबे

बिन्देश्वरी दुबे एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे और अपने राजनीतिक जीवन में श्रमिकों के अधिकार, सामाजिक न्याय और विकास के लिए काम करने के लिए जाने जाते हैं.

बिन्देश्वरी दुबे का जन्म 14 जनवरी 1921 को बिहार के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद श्रमिकों और किसानों के मुद्दों की ओर रुचि दिखाई. दुबे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय थे. उन्होंने महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के खिलाफ कार्य किया.

बिन्देश्वरी दुबे ने 12 मार्च 1985 से 13 फरवरी 1988 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल में राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए गए. उनका श्रमिकों के प्रति विशेष झुकाव था. उन्होंने भारतीय मजदूर संघ (Indian National Trade Union Congress – INTUC) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और श्रमिक वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष किया. मुख्यमंत्री के कार्यकाल के बाद, वे भारतीय संसद के सदस्य बने और केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने श्रम और रोजगार जैसे क्षेत्रों में अपना योगदान दिया.

बिन्देश्वरी दुबे का निधन 20 जनवरी 1993 को हुआ था. उनके योगदान के लिए उन्हें आज भी बिहार और श्रमिक वर्ग के हितैषी नेता के रूप में याद किया जाता है. उनकी राजनीति और समाजसेवा का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो श्रमिक कल्याण और सामाजिक न्याय से संबंधित हैं.

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लांस नायक करम सिंह

लांस नायक करम सिंह भारत के उन वीर सैनिकों में से एक हैं, जिन्होंने देश की सेवा करते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया. वर्ष 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपनी असाधारण वीरता के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

करम सिंह का जन्म 15 सितंबर, 1915 को पंजाब के बरनाला जिले में हुआ था. उन्होंने भारतीय सेना में एक सैनिक के रूप में अपना कैरियर शुरू किया और बाद में सूबेदार और मानद कैप्टन के पद तक पहुंचे.

वर्ष 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, करम सिंह ने अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए दुश्मन के हमलों का डटकर मुकाबला किया. उन्होंने अत्यंत विषम परिस्थितियों में भी अपने साथियों का हौसला बढ़ाया और दुश्मन को खदेड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गोलियां खत्म होने पर उन्होंने अपने खंजर से दुश्मनों का सामना किया और अपनी टुकड़ी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.

करम सिंह की अदम्य साहस और बलिदान के लिए उन्हें जीवित रहते हुए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. वे भारत के पहले ऐसे सैनिक थे जिन्हें जीवित रहते हुए यह सम्मान मिला.

युद्ध के बाद करम सिंह ने सेना से सेवानिवृत्त होकर शांतिपूर्ण जीवन जिया. 20 जनवरी 1993 को लांस नायक करम सिंह का निधन हो गया. करम सिंह का नाम हमेशा भारत के वीर सैनिकों की सूची में सबसे ऊपर रहेगा.उन्होंने देश के लिए जो बलिदान दिया, वह हमेशा याद किया जाएगा. उनकी कहानी युवाओं को देशभक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित करती रहेगी.

लांस नायक करम सिंह एक ऐसे वीर सैनिक थे जिन्होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी. उनकी शौर्य गाथा हमेशा याद रखी जाएगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.

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अभिनेत्री परवीन बॉबी

परवीन बॉबी एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी. परवीन बॉबी ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म ‘चरित्र, से की थी. परवीन बॉबी को 1970 के दशक के शीर्ष नायकों के साथ ग्लैमरस भूमिकाएं निभाने के लिए याद किया जाता है.परवीन बॉबी को भारत की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में एक माना जाता है.

परवीन बॉबी का जन्म 04 अप्रैल 1954 को  जूनागढ़, गुजरात के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता वली मोहम्मद बाबी, जूनागढ़ के नवाब के साथ प्रशासक थे. उन्होने वर्ष1970 – 80 की ब्लोकबस्टर फिल्मों मे भी काम किया है, जैसे दीवार, नमक हलाल, अमर अकबर एन्थोनी और शान.  उन्हें क़रीब 10 फ़िल्मों में कला के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया था जिनमें मुख्य फ़िल्में हैं : – मजबूर, दीवार, अमर अकबर एंथनी, सुहाग, कालिया, मेरी आवाज़ सुनो, नमक हलाल, अशांति, खुद्दार, रंग बिरंगी आदि शामिल हैं.

परवीन बॉबी का निधन  20 जनवरी, 2005 को मुम्बई में हुआ था. बॉबी ने बॉलीवुड में अपने कैरियर के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और वह आज भी अपने अद्वितीय कैरियर के लिए याद की जाती हैं.

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