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व्यक्ति विशेष -भाग – 366…

उद्योगपति धीरूभाई अंबानी


धीरजलाल हीराचंद अंबानी, जिन्हें धीरूभाई अंबानी के नाम से जाना जाता है, भारत के एक प्रमुख उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक थे. उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को जूनागढ़, गुजरात में हुआ था. उन्होंने भारतीय उद्योग जगत में अपनी मेहनत, दूरदर्शिता और उत्कृष्ट व्यापारिक रणनीतियों के लिए ख्याति प्राप्त की.

धीरूभाई अंबानी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत यमन के अदन शहर में एक पेट्रोल पंप अटेंडेंट के रूप में की थी. वहां काम करते हुए उन्होंने व्यापार और वित्त की बारीकियों को सीखा. अदन में कुछ समय बिताने के बाद, धीरूभाई अंबानी भारत लौट आए और व्यापार में अपनी किस्मत आजमाने का निर्णय लिया.

वर्ष 1966 में धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की, जो बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) बनी. शुरुआत में उन्होंने पॉलिएस्टर के धागों का व्यापार किया और धीरे-धीरे व्यापार का विस्तार किया. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पेट्रोकेमिकल्स, रिफाइनिंग, तेल और गैस, टेलीकॉम, और रिटेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपने व्यापार का विस्तार किया. आज, यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी और सबसे सफल कंपनियों में से एक है.

धीरूभाई अंबानी ने व्यापार में कई नवाचार किए. उन्होंने इक्विटी बाजार का उपयोग करके धन जुटाने की रणनीति अपनाई और आम जनता को कंपनी में निवेश करने के लिए प्रेरित किया. इससे न केवल रिलायंस का विस्तार हुआ, बल्कि भारतीय पूंजी बाजार को भी मजबूती मिली. उन्होंने उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में भी सुधार किए, जिससे लागत कम हुई और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ी.

धीरूभाई अंबानी ने सामाजिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में कई पहलें शुरू कीं.

धीरूभाई अंबानी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले. वर्ष  2016 में, उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. 6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया. उनके पुत्र, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी, ने उनके व्यापार को आगे बढ़ाया. मुकेश अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने और भी ऊंचाइयों को छुआ और विभिन्न क्षेत्रों में अपने व्यापार का विस्तार किया.

धीरूभाई अंबानी का योगदान भारतीय उद्योग जगत में अद्वितीय है. उन्होंने न केवल एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया, बल्कि भारतीय उद्योग और पूंजी बाजार को नई दिशा दी. उनकी दृष्टि, मेहनत और नवाचार की भावना ने उन्हें भारतीय उद्योग के पथप्रदर्शक के रूप में स्थापित किया. उनके सिद्धांत और कार्य आज भी उद्यमियों और व्यापारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

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उद्योगपति रतन टाटा


रतन टाटा, भारतीय उद्योग जगत की एक महान शख्सियत, भारत में टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष और एक दूरदर्शी उद्योगपति थे. उनका व्यक्तित्व केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं था; वे अपनी विनम्रता, मानवता और दानशीलता के लिए भी प्रसिद्ध थे. उन्होंने टाटा समूह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया और भारत की औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को ब्रिटिश राज के दौरान बॉम्बे, अब मुंबई में एक पारसी पारसी परिवार में हुआ था. रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा और माता का नाम सोनू टाटा है जबकि उनके चाचा का नाम  जे॰ आर॰ डी॰ टाटा था. रतन टाटा की सौतेली माँ का नाम सिमोन टाटा है. रतन टाटा का एक सौतेले भाई है जिसका नाम नोएल टाटा है.

रतन ने 8वीं कक्षा तक मुंबई के कैंपियन स्कूल में पढ़ाई की. उसके बाद, उन्होंने मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला में बिशप कॉटन स्कूल और न्यूयॉर्क शहर में रिवरडेल कंट्री स्कूल में पढ़ाई की, जहां से उन्होंने वर्ष 1955 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की.

रतन टाटा वर्ष 1991 में टाटा समूह के अध्यक्ष बने, और उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़े अधिग्रहण किए, जैसे कि टेटली (चाय कंपनी), जगुआर लैंड रोवर (ब्रिटिश ऑटोमोबाइल कंपनी), और कोरस (स्टील कंपनी). उन्होंने भारत में भी टाटा मोटर्स के तहत सबसे किफायती कार “टाटा नैनो” लॉन्च की. उनका मानना था कि व्यापार केवल मुनाफे के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज और मानवता के विकास में भी योगदान देना चाहिए. उन्होंने अनेक सामाजिक और शैक्षिक परियोजनाओं का समर्थन किया.

रतन टाटा अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी विख्यात हैं. वे शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में कई परियोजनाओं का समर्थन करते रहे हैं. वे अपनी सादगी, ईमानदारी और मानवता के लिए बहुत सम्मानित हैं, और आज भी एक प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं.

उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) शामिल हैं.

रतन टाटा का निधन 09 अक्टूबर 2024 को मुम्बई में हुआ. उनके निधन के बाद, भारत और विश्व उन्हें एक आदर्श नेतृत्वकर्ता और प्रेरणा के स्रोत के रूप में हमेशा याद रखेगा. उनकी विरासत न केवल टाटा समूह में बल्कि समाज की सेवा में भी जीवित रहेगी.

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अभिनेत्री बरखा बिष्ट सेनगुप्ता


बरखा बिष्ट सेनगुप्ता भारतीय टेलीविज़न और फिल्म अभिनेत्री हैं, जो अपनी खूबसूरत व्यक्तित्व और प्रतिभाशाली अभिनय के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने हिंदी टीवी धारावाहिकों और फिल्मों में अपनी भूमिकाओं से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है. बरखा अपनी आकर्षक स्क्रीन प्रेजेंस और बहुमुखी अदाकारी के लिए जानी जाती हैं.

बरखा बिष्ट का जन्म 28 दिसंबर 1979 को हिसार, हरियाणा के एक सैनिक परिवार में हुआ था. बरखा ने अपनी पढ़ाई कोलकाता से पूरी की, क्योंकि उनका परिवार सेना से जुड़ा था और उन्हें अलग-अलग जगहों पर रहने का अनुभव मिला. बरखा की शादी अभिनेता इंद्रनील सेनगुप्ता से हुई है. इस जोड़ी को टेलीविजन इंडस्ट्री की सबसे प्यारी जोड़ियों में से एक माना जाता है.

बरखा ने छोटे पर्दे पर अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 2004 में धारावाहिक “प्यार के दो नाम: एक राधा, एक श्याम” से की. उनके अभिनय को दर्शकों ने बहुत पसंद किया. उन्होंने “साजन घर जाना है”, “कितनी मस्त है जिंदगी”, और “नामकरण” जैसे लोकप्रिय शोज़ में काम किया. “चंद्रगुप्त मौर्य” और “रामायण” (NDTV Imagine) में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं. रामायण में उन्होंने माँ सीता की भूमिका निभाई, जो उनके कैरियर का अहम पड़ाव बना.

बरखा ने बॉलीवुड और बंगाली फिल्मों में भी अभिनय किया है. उन्होंने “राजा रानी” और “गोलियों की रासलीला राम-लीला” जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का प्रदर्शन किया.

टेलीविजन शो: – प्यार के दो नाम: एक राधा, एक श्याम, साजन घर जाना है, रामायण (माँ सीता की भूमिका), नामकरण.

फिल्में: – गोलियों की रासलीला राम-लीला, दोस्ती, अमर प्रेम (बंगाली फिल्म).

बरखा बिष्ट सेनगुप्ता अपनी बहुमुखी प्रतिभा, सुंदरता, और संतुलित व्यक्तित्व के लिए पहचानी जाती हैं. वे एक सफल अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक समर्पित पत्नी और माँ भी हैं. उनकी यात्रा कई उभरते कलाकारों के लिए प्रेरणा हैबरखा बिष्ट सेनगुप्ता भारतीय टेलीविज़न और फिल्म अभिनेत्री हैं, जो अपनी खूबसूरत व्यक्तित्व और प्रतिभाशाली अभिनय के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने हिंदी टीवी धारावाहिकों और फिल्मों में अपनी भूमिकाओं से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है. बरखा अपनी आकर्षक स्क्रीन प्रेजेंस और बहुमुखी अदाकारी के लिए जानी जाती हैं.

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कवि सुमित्रानंदन पंत


सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के चार प्रमुख स्तंभों में से एक, छायावादी युग के प्रमुख कवि थे. उनका जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी में हुआ था. पंत की कविताएँ प्रकृति, प्रेम, और आध्यात्मिकता के विषयों को छूती हैं, और उनकी भाषा में एक गहरी संवेदनशीलता और कोमलता होती है.

पंत के प्रमुख काव्य संग्रह में “पल्लव”, “गुंजन”, “ग्राम्या”, और “चिदंबरा” शामिल हैं. उन्होंने हिंदी कविता में प्रकृति के सौंदर्य को एक नए और ताज़ा ढंग से प्रस्तुत किया. उनकी कविताओं में व्यक्त होने वाली भावनाएँ और विचार दोनों ही उनकी गहराई और उनके विशाल ज्ञान को दर्शाते हैं.

सुमित्रानंदन पंत को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल हैं. उनकी कविताएँ आज भी हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती हैं और उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं. महाकवि सुमित्रानंदन पंत का निधन 28 दिसम्बर 1977 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था.

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रतन टाटा एक दूरदर्शी उद्योगपति थे वहीं , धीरूभाई अंबानी एक उद्योगपति थे.

Ratan Tata was a visionary industrialist whereas Dhirubhai Ambani was an industrialist.

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