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प्यार और भरोसे पे पार…

ये एक सरल चित्र है, लेकिन बहुत ही गहरे अर्थ के साथ।आदमी को पता नहीं है कि नीचे सांप है और महिला को नहीं पता है किआदमी भी किसी पत्थर से दबा हुआ है।महिला सोचती है ‘मैं गिरने वाली हूं और मैं नहीं चढ़ सकती क्योंकि साँप मुझे काट रहा है।

आदमी अधिक ताक़त का उपयोग करके मुझे ऊपर क्यों नहीं खींचता!आदमी सोचता है:”मैं बहुत दर्द में हूं फिर भी मैं आपको उतना ही खींच रहा हूँ जितना मैं कर सकता हूँ!आप खुद कोशिश क्यों नहीं करती और कठिन चढ़ाई को पार कर लेतीआदमी को ये नहीं पता है कि औरत को सांप काट रहा है ।नैतिकताः- आप उस दबाव को देख नहीं सकते जो सामने वाला झेल रहा है, और ठीक उसी तरह सामने वाला भी उस दर्द को नहीं देख सकता जिसमें आप हैं।यह जीवन है, भले ही यह काम, परिवार, भावनाओं, दोस्तों, के साथ हो, आपको एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए, अलगअलग सोचना, एक-दूसरे के बारे में सोचना और बेहतर तालमेल बिठाना चाहिए।हर कोई अपने जीवन में अपनी लड़ाई लड़ रहा है और सबके अपने अपने दुख हैं। इसीलिए कम से कम जब हम अपनों से मिलते हैं तब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने के बजाय एक दूसरे को प्यार, स्नेह और साथ रहने की खुशी का एहसास दें, जीवन की इस यात्रा को लड़ने की बजाय प्यार और भरोसे पर आसानी से पार किया जा सकता है।

प्रभाकर कुमार

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