अभिनेता धर्मेन्द्र
धर्मेंद्र भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित अभिनेताओं में से एक, जिनका असली नाम धरम सिंह देओल है. उन्हें भारतीय सिनेमा में “ही-मैन” और “एक्शन किंग” के रूप में जाना जाता है. अपने कैरियर में उन्होंने रोमांटिक, कॉमेडी और एक्शन भूमिकाओं में एक लंबी छाप छोड़ी है.
धर्मेन्द्र का जन्म 8 दिसम्बर 1935 को फगवाडा, गांव में एक जाट सिख परिवार में किशन सिंह देओल और सतवंत कौर के घर हुआ था. उन्होंने अपना प्रारंभिक जीवन साहनेवाल गाँव में बिताया और लुधियाना के गांव ललतों कलां में सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अध्ययन किया, जहाँ उनके पिता गाँव के स्कूल के प्रधानाध्यापक थे.धर्मेन्द्र ने केवल मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त की थी. स्कूल के समय से ही फिल्मों का इतना चाव था कि दिल्लगी (1949) फिल्म को 40 से भी अधिक बार देखा था.
धर्मेन्द्र ने दो शादियां की हैं. उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर हैं. जिनके तीन बच्चे हैं- सनी देओल,बॉबी देओल और बेटी अजिता देओल. उनके दोनों बेटे हिंदी सिनेमा में फिल्म अभिनेता हैं, जबकि बेटी शादी के बाद विदेश में रहती हैं. उनकी दूसरी पत्नी हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री और ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी हैं. उनकी दो बेटियां हैं. इशा और अहाना देओल, उनकी दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है.
धर्मेंद्र ने वर्ष 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से अभिनय की शुरुआत करने के बाद पूरे तीन दशकों तक धर्मेंद्र चलचित्र जगत में छाये रहे. फिल्मफेयर के एक प्रतियोगिता के दौरान अर्जुन हिंगोरानी को धर्मेंद्र पसंद आ गये और हिंगोरानी जी ने अपनी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे के लिये 51 रुपये साइनिंग एमाउंट देकर उन्हें हीरो की भूमिका के लिये अनुबंधित किया था.
फिल्में: –
शोले (1975): – वीरू की भूमिका में उनका किरदार भारतीय सिनेमा के इतिहास में यादगार है.
फूल और पत्थर (1966): – इस फिल्म ने उन्हें “एंग्री यंग मैन” की छवि दी.
चुपके चुपके (1975): – उनकी कॉमेडी अभिनय क्षमता को दर्शाती एक प्रतिष्ठित फिल्म.
सत्यकाम (1969): – इस फिल्म में उन्होंने नैतिकता और आदर्शवाद की भूमिका निभाई.
अन्य हिट फिल्में: – “यादों की बारात,” “धरमवीर,” “राजा जानी,” “सीता और गीता”.
धर्मेंद्र को वर्ष 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. वर्ष 2012 में उन्हें “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया. उन्होंने वर्ष 2004 में भाजपा के टिकट पर राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीता. धर्मेंद्र ने अपने बैनर विजेता फिल्म्स के तहत फिल्में बनाईं, जिनमें “घायल” (1990) प्रमुख है.
धर्मेंद्र की सरलता, स्वाभाविक अभिनय शैली और विनम्र स्वभाव ने उन्हें प्रशंसकों के दिलों में अमर कर दिया। उनका व्यक्तित्व एक साधारण पंजाबी किसान से लेकर बॉलीवुड के सुपरस्टार तक की यात्रा को बखूबी दर्शाता है. आज भी, वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने हुए हैं, और उनके काम का भारतीय सिनेमा में अहम योगदान है.
========== ========= ===========
अभिनेत्री शर्मिला टैगोर
शर्मिला टैगोर भारतीय सिनेमा की एक दिग्गज अभिनेत्री हैं, जिन्हें उनकी खूबसूरती, अभिनय क्षमता और सशक्त भूमिकाओं के लिए जाना जाता है. उन्होंने हिंदी और बंगाली फिल्मों में अपने योगदान से एक खास पहचान बनाई है.
शर्मिला टैगोर का जन्म 8 दिसंबर 1946 को तत्कालीन आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था. उनके पिता गितिन्द्रनाथ टैगोर तत्कालीन एल्गिन मिल्स के ब्रिटिश इंडिया कंपनी के मालिक थे.उनके पूर्वज भारतीय साहित्य के महान लेखक रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार से जुड़े थे. शर्मिला टैगोर ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नवाब पटौदी से 27 दिसंबर, 1969 को शादी की और अपना नाम आयशा सुल्ताना रखा. उनके तीन बच्चे हैं – सैफ़ अली ख़ान, सबा अली खान, और सोहा अली ख़ान.
शर्मिला ने अपने कैरियर की शुरुआत महज 13 साल की उम्र में ही सत्यजीत राय की फिल्म अपूर संसार से की थी. हिंदी सिनेमा में वर्ष 1964 में “कश्मीर की कली” से कदम रखा. शर्मिला की शानदार अदाकारी ने जल्द ही उन्हें एक महान अभिनेत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया. उन्होंने कई सारी हिट फिल्में की और अपना नाम बॉलीवुड की सफल अभिनेत्रियों में दर्ज करवाया.
प्रमुख फिल्में: – आराधना (1969), अमर प्रेम (1972), सफर (1970), चुपके चुपके (1975), अनुपमा (1966), मौसम (1975).
बंगाली फिल्मों में उनकी बेहतरीन अदाकारी देखी गई, जैसे “देवी” और “नायक”. शर्मिला टैगोर को उनके सशक्त किरदारों के लिए जाना जाता है. उन्होंने ग्लैमरस भूमिकाओं के साथ सामाजिक और भावनात्मक किरदार भी बखूबी निभाए.
शर्मिला को उनके शानदार अभिनय के लिये फिल्म फेयर पुरस्कार, के अलावा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पद्म भूषण (2013) सम्मान से सम्मानित किया गया. शर्मिला टैगोर वर्ष 2004 -11 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की प्रमुख रहीं. उन्होंने बच्चों और महिलाओं के कल्याण के लिए कई सामाजिक कार्य किए.
शर्मिला टैगोर की खूबसूरती और अभिनय ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया है. वह अपने समय की सबसे प्रगतिशील और स्टाइलिश अभिनेत्रियों में से एक थीं. उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों को छूती हैं, और वह भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग का प्रतिनिधित्व करती हैं.