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सामजिक समरसता का पर्व है छठ

छठ पूजा वास्तव में सामाजिक समरसता और एकता का पर्व है. इस त्योहार में हर वर्ग, जाति और समुदाय के लोग मिल-जुलकर भाग लेते हैं और इस पवित्र पर्व को समान भाव से मनाते हैं. छठ पूजा में भक्ति, सेवा और परस्पर सहयोग का ऐसा भाव होता है जो लोगों को सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर एकजुट करता है.

छठ पूजा में जाति, धर्म, आर्थिक स्थिति का कोई भेदभाव नहीं होता. सभी लोग, चाहे वे किसी भी जाति या वर्ग के हों, एक ही नदी या तालाब में एकत्रित होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण करते हैं. इसमें उच्च या निम्न वर्ग का कोई भेदभाव नहीं होता, जिससे सामाजिक समानता का संदेश मिलता है.

छठ पूजा के आयोजन के लिए सभी लोग एकजुट होकर घाटों की साफ-सफाई और सजावट करते हैं. इसे एक सामुदायिक आयोजन की तरह मनाया जाता है, जिसमें हर व्यक्ति अपने हिस्से का योगदान देता है. घाटों पर हर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार तैयारी में जुटता है और सामूहिक भावना का अनुभव करता है.

छठ पूजा में दिखावा या आडंबर का कोई स्थान नहीं है/ पूजा की विधि सादगी और पवित्रता पर आधारित होती है, जो सभी लोगों को एक समान भाव से जोड़ती है/ यह सादगी और शुद्धता का प्रतीक है और समाज में समरसता की भावना को बढ़ावा देती है.

छठ पूजा के दौरान लोग एक-दूसरे की सेवा करते हैं, चाहे वह प्रसाद बांटना हो, घाटों की सफाई करना हो, या पूजा सामग्री का प्रबंध करना हो. इस समय हर व्यक्ति स्वयं को सेवक मानता है और दूसरों की मदद करता है. यह सेवा भावना समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है.

इस पर्व में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और उनका विशेष स्थान दर्शाता है. महिलाएं उपवास रखती हैं और कठिन व्रत का पालन करती हैं, जो उनके साहस, समर्पण और शक्ति का प्रतीक है. इससे समाज में महिलाओं का आदर और सम्मान बढ़ता है.

छठ पूजा प्रकृति से गहरा संबंध रखती है. इसमें सूर्य और जल की पूजा होती है, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं. इस पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है. लोग जलाशयों की सफाई करते हैं और प्रदूषण रहित सामग्री का प्रयोग करते हैं, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है.

छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है; यह सामाजिक समरसता, एकता, सेवा, और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है. इस पर्व के माध्यम से समाज में भाईचारे, समर्पण और सामाजिक समानता का संदेश प्रसारित होता है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक ही समाज का हिस्सा हैं और हमें एक-दूसरे की भलाई के लिए सहयोग और सम्मान के साथ रहना चाहिए.

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