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व्यक्ति विशेष

भाग – 288.

स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण, जिन्हें “जेपी” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और समाजवादी विचारधारा के समर्थक थे. वे भारतीय राजनीति में अपनी सादगी, ईमानदारी, और सामाजिक सुधारों के लिए जाने जाते हैं. जयप्रकाश नारायण का योगदान केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं था; वे स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बने रहे.

जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गाँव में हुआ था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा पटना में प्राप्त की, और आगे की पढ़ाई के लिए वर्ष 1922 में अमेरिका चले गए. अमेरिका में उन्होंने समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और वहीं समाजवादी विचारों से प्रभावित हुए.

जयप्रकाश नारायण ने वर्ष 1929 में भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया. वर्ष 1932 में, उन्हें नमक सत्याग्रह के दौरान जेल भेजा गया. वर्ष 1934 में, उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की और समाजवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार में जुट गए.

वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया. उन्हें इस दौरान जेल में डाल दिया गया, लेकिन उनकी देशभक्ति और संघर्षशीलता ने उन्हें देश भर में लोकप्रिय बना दिया.

भारत की स्वतंत्रता के बाद जयप्रकाश नारायण ने राजनीति से कुछ समय के लिए दूरी बनाई और समाज सेवा में लगे रहे. उन्होंने ग्रामीण विकास और समाजवादी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया. हालांकि, वे वर्ष 1954 में सर्वोदय आंदोलन में शामिल हो गए और विनोबा भावे के नेतृत्व में भूदान आंदोलन का समर्थन किया.

जयप्रकाश नारायण का सबसे महत्वपूर्ण योगदान वर्ष 1970 के दशक में हुआ, जब उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन चलाया. वर्ष 1974 में, बिहार में छात्रों द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करते हुए, जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया. उन्होंने इसे एक व्यापक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन का आंदोलन बताया.

वर्ष 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार कर लिया गया. आपातकाल समाप्त होने के बाद, उन्होंने जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने वर्ष 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस को हराया और भारत में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई.

जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर 1979 को हुआ. उन्हें मरणोपरांत भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न वर्ष 1999 में दिया गया. उन्हें भारतीय राजनीति में सच्चाई और नैतिकता के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है. उनके विचारों और आंदोलनों ने भारतीय समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है.

जयप्रकाश नारायण की “संपूर्ण क्रांति” की अवधारणा और उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग आज भी भारत के राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में प्रेरणा का स्रोत है.

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भौतिक वैज्ञानिक और गणितज्ञ हरीश चंद्र महरोत्रा

हरीश चंद्र महरोत्रा एक भारतीय-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ थे, जिन्हें गणितीय भौतिकी और प्रतिनिधित्व सिद्धांत के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. उनका कार्य गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के बीच के अंतर को कम करने में सहायक रहा है, विशेष रूप से प्रतिनिधित्व सिद्धांत (Representation Theory) और हरमोनिक विश्लेषण (Harmonic Analysis) के क्षेत्र में.

हरीश चंद्र का जन्म 11 अक्टूबर 1923 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री (B.Sc.) प्राप्त की और फिर वहां से M.Sc. की पढ़ाई भी पूरी की. इसके बाद वे इंग्लैंड के कैवेंडिश लैबोरेटरी में प्रोफेसर पॉल डिराक (प्रसिद्ध क्वांटम भौतिकविद) के साथ काम करने के लिए गए, जहां से उनकी गणितीय यात्रा शुरू हुई.

हरीश चंद्र ने शुरुआत में क्वांटम भौतिकी में अनुसंधान किया, लेकिन बाद में वे पूरी तरह से गणित में चले गए. उन्होंने पॉल डिराक के साथ काम करते हुए क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) और सैद्धांतिक भौतिकी के गहरे गणितीय पहलुओं पर शोध किया. उनकी गणितीय समझ ने उन्हें गणित के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बना दिया.

हरीश चंद्र ने गणित के प्रतिनिधित्व सिद्धांत (Representation Theory) में महत्वपूर्ण योगदान दिया. विशेष रूप से, उनका कार्य लिइ समूहों (Lie Groups) और लिइ अल्जेब्राओं (Lie Algebras) के क्षेत्र में था. उनके नाम पर हरीश-चंद्र मॉड्यूल (Harish-Chandra Modules) और हरीश-चंद्र होमोमॉर्फिज्म (Harish-Chandra Homomorphism) जैसी अवधारणाएँ जानी जाती हैं, जो गणितीय सिद्धांत में महत्वपूर्ण हैं.

उन्होंने हरमोनिक विश्लेषण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया, जो गणित के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरकर सामने आया. उनका कार्य गहरे गणितीय सिद्धांतों को समझने में मददगार साबित हुआ.

हरीश चंद्र को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई. वे भारत और अमेरिका में दोनों स्थानों पर सम्मानित रहे. उन्होंने प्रसिद्ध संस्थानों में कार्य किया, जिनमें हावर्ड विश्वविद्यालय और इंस्टिट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी, प्रिंसटन शामिल हैं. उनके सम्मान में इंस्टिट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी, प्रिंसटन में एक हॉल का नाम “हरीश-चंद्र हॉल” रखा गया है. उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) का सदस्य भी बनाया गया था.

हरीश चंद्र के कार्य ने गणित और भौतिकी के बीच की खाई को पाटने का काम किया. उनकी गणितीय खोजों का आज भी आधुनिक गणित और सैद्धांतिक भौतिकी में व्यापक प्रभाव है. उनके नाम पर आज भी कई गणितीय सिद्धांत और परिणाम संदर्भित किए जाते हैं. हरीश चंद्र का योगदान गणित के क्षेत्र में अमूल्य है, और वे आज भी गणितीय अनुसंधान में प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं. हरीश चंद्र महरोत्रा का निधन 16 अक्तूबर 1983 को  हुआ, लेकिन उनकी गणितीय विरासत हमेशा जीवित रहेगी.

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अभिनेता अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक हैं. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था. वे प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के बेटे हैं. अमिताभ ने भारतीय सिनेमा में अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष  1969 में फिल्म “सात हिंदुस्तानी” से की, लेकिन उन्हें असली पहचान वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म “ज़ंजीर” से मिली, जिसमें उन्होंने “एंग्री यंग मैन” का किरदार निभाया.

अमिताभ बच्चन की प्रमुख फिल्मों में “शोले,” “दीवार,” “डॉन,” “कभी कभी,” “मुकद्दर का सिकंदर,” “सिलसिला,” और “अग्निपथ” शामिल हैं. उन्होंने अपने कैरियर में विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए, जिनमें एक्शन हीरो, रोमांटिक हीरो, और कॉमेडी रोल्स शामिल हैं. उनकी दमदार आवाज़, बेहतरीन संवाद अदायगी, और अभिनय की शैली ने उन्हें “सदी के महानायक” की उपाधि दिलाई.

वर्ष 1980 के दशक में, वे भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे बड़े सितारे बन गए और उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार, और कई अन्य प्रमुख सम्मान शामिल हैं. अमिताभ ने सिर्फ हिंदी सिनेमा में ही नहीं, बल्कि टेलीविजन पर भी अपनी छाप छोड़ी. वे वर्ष 2000 में शुरू हुए प्रसिद्ध शो “कौन बनेगा करोड़पति” के होस्ट के रूप में भी जाने जाते हैं, जिसने उनकी लोकप्रियता को और भी बढ़ा दिया.

अमिताभ बच्चन ने अपने कैरियर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें हर बार सफलता दिलाई. वे अब भी फिल्मों और टेलीविजन में सक्रिय हैं और नए कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उन्हें पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (2001), और पद्म विभूषण (2015) जैसे सम्मान मिल चुके हैं, जो भारतीय सिनेमा में उनके अभूतपूर्व योगदान को दर्शाते हैं.

अमिताभ बच्चन आज भी भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख स्तंभ हैं, और उनकी अदाकारी और व्यक्तित्व ने उन्हें सिनेमा की दुनिया का महानायक बना दिया है.

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वैज्ञानिक विजय पी. भटकर

डॉ. विजय पी. भटकर भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों और आईटी विशेषज्ञों में से एक हैं. वे भारत में सुपरकंप्यूटर के विकास के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं और उन्हें “पैराम सुपरकंप्यूटर” के जनक के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1946 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा वी. जे. टी. आई. मुंबई और आईआईटी दिल्ली से की और फिर अपने कैरियर की शुरुआत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में की.

डॉ. विजय भटकर ने भारत का पहला सुपरकंप्यूटर पैराम 8000 (1991) और उसके बाद कई अन्य संस्करण विकसित किए. यह उस समय की एक बड़ी उपलब्धि थी, जब भारत को विदेशी सुपरकंप्यूटर प्राप्त करने में कठिनाई हो रही थी. पैराम सुपरकंप्यूटर ने भारत को दुनिया के सुपरकंप्यूटर बनाने वाले देशों की श्रेणी में शामिल कर दिया.

डॉ. भटकर ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत का अग्रणी संगठन है जो उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग और आईटी के क्षेत्र में काम करता है.

वे राष्ट्रीय ज्ञान आयोग और राष्ट्रीय नवाचार परिषद के सदस्य रहे हैं, जहां उन्होंने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) और अन्य शीर्ष संस्थानों में शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने का काम किया. उनके मार्गदर्शन में आईटी, कम्प्यूटर साइंस और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग के क्षेत्र में नई संभावनाओं का विकास हुआ है.

डॉ. भटकर को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए 2015 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जो कि भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. इसके अतिरिक्त, उन्हें पद्म श्री (2000) से भी सम्मानित किया गया था.

डॉ. भटकर ने स्वास्थ्य, शिक्षा, और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में भी तकनीकी समाधानों के जरिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के भी गहन प्रेमी हैं और भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने में सक्रिय रहे हैं. डॉ. विजय पी. भटकर एक ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनका काम न केवल विज्ञान के क्षेत्र में बल्कि समाज के विकास में भी अद्वितीय योगदान करता है.

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क्रिकेट खिलाड़ी हार्दिक पांड्या

हार्दिक पांड्या एक भारतीय क्रिकेटर हैं, जो अपनी आक्रामक बल्लेबाजी, तेज गेंदबाजी और शानदार फील्डिंग के लिए जाने जाते हैं. उनका पूरा नाम हार्दिक हिमांशु पांड्या है, और उनका जन्म 11 अक्टूबर 1993 को गुजरात के सूरत में हुआ था. हार्दिक भारतीय क्रिकेट टीम में एक ऑलराउंडर के रूप में खेलते हैं और अपने दमदार प्रदर्शन से टीम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

हार्दिक पांड्या का परिवार सूरत से बड़ौदा आ गया, ताकि उन्हें और उनके भाई क्रुणाल पांड्या (जो खुद भी एक क्रिकेटर हैं) को क्रिकेट की बेहतर सुविधाएँ मिल सकें. आर्थिक परिस्थितियाँ शुरू में कठिन थीं, लेकिन दोनों भाइयों ने कड़ी मेहनत और समर्पण से अपने क्रिकेट कैरियर को आगे बढ़ाया.

हार्दिक ने बड़ौदा की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया और जल्द ही अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और गेंदबाजी से चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया. उनका टैलेंट तब और उभरा जब उन्होंने वर्ष 2015 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया. उनकी आईपीएल सफलता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में मदद की.

हार्दिक ने जनवरी 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टी20 इंटरनेशनल कैरियर की शुरुआत की. उन्होंने अपनी गति और शक्ति से ऑलराउंडर के रूप में टीम में जगह बनाई. उसी साल हार्दिक ने अक्टूबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे क्रिकेट में पदार्पण किया. उन्होंने अपने पहले ही मैच में शानदार गेंदबाजी करते हुए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार जीता.

हार्दिक ने वर्ष 2017 में श्रीलंका के खिलाफ अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत की. उन्होंने टेस्ट मैचों में भी खुद को एक उपयोगी ऑलराउंडर के रूप में साबित किया और पहले ही टेस्ट शतक के साथ अपनी बल्लेबाजी क्षमता का परिचय दिया.

प्रमुख उपलब्धियाँ: –

चैंपियंस ट्रॉफी 2017:  – हार्दिक ने चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ धमाकेदार 76 रन बनाए, जिससे वे चर्चित हो गए.

आईपीएल सफलता:  – मुंबई इंडियंस के साथ खेलते हुए हार्दिक ने कई बार मैच विनिंग प्रदर्शन किए और 5 बार आईपीएल खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे हैं.

आक्रामक ऑलराउंडर:  – हार्दिक की बल्लेबाजी शैली आक्रामक है, और वे अक्सर निचले क्रम में आते हुए तेज़ी से रन बनाने के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा, उनकी तेज गेंदबाजी उन्हें एक मूल्यवान ऑलराउंडर बनाती है, जो खेल के किसी भी मोड़ पर टीम के लिए उपयोगी हो सकते हैं.

हार्दिक पांड्या ने वर्ष 2022 में एक नई आईपीएल फ्रेंचाइजी गुजरात टाइटन्स की कप्तानी संभाली और अपनी टीम को पहली ही बार में आईपीएल खिताब जिताया. यह उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचय था, और इसके बाद वे भारतीय टीम में भी सफेद गेंद की क्रिकेट में कप्तान बनने लगे.

हार्दिक पांड्या का व्यक्तिगत जीवन भी सुर्खियों में रहा है. जनवरी 2020 में उन्होंने सर्बियाई मूल की भारतीय अभिनेत्री नताशा स्टेनकोविक से सगाई की, और फिर बाद में दोनों ने शादी की. उनके एक बेटा भी है, जिसका नाम अगस्त्य है.

हार्दिक की बल्लेबाजी बहुत ही आक्रामक होती है, और वे बड़े शॉट खेलने के लिए जाने जाते हैं. वे विशेष रूप से निचले क्रम में खेलते हुए गेम को बदलने की क्षमता रखते हैं. हार्दिक एक तेज गेंदबाज हैं, जो आमतौर पर मध्यम गति से गेंदबाजी करते हैं और बीच के ओवरों में विकेट निकालने के लिए जाने जाते हैं. हार्दिक पांड्या फील्डिंग में भी उत्कृष्ट हैं और मैदान पर तेज और चुस्त होते हैं, जिससे वे एक पूर्ण ऑलराउंडर बनते हैं.

हार्दिक पांड्या ने अपने कैरियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन उन्होंने हर बार अपने खेल से जवाब दिया. वे भारतीय क्रिकेट टीम के महत्वपूर्ण ऑलराउंडर हैं और उनके कौशल और नेतृत्व ने उन्हें एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है.

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अभिनेत्री दीना पाठक

दीना पाठक एक भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी और गुजराती रंगमंच, फिल्मों और टेलीविजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 4 मार्च 1922 को अमरेली, गुजरात में हुआ था. दीना पाठक ने अपने लंबे कैरियर में कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं और उन्हें उनकी अभिनय क्षमता और विविध चरित्रों के लिए बहुत प्रशंसा मिली.

उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत रंगमंच से की और बाद में फिल्मों में भी काम किया. दीना पाठक ने ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘खूबसूरत’, और ‘गोलमाल’ जैसी कई प्रसिद्ध फिल्मों में काम किया. उनकी भूमिकाएं अक्सर मजबूत और चरित्रवान महिलाओं की रहीं, जिन्होंने समाज में अपनी एक विशिष्ट जगह बनाई.

दीना पाठक ने नाटकों में भी काफी काम किया और गुजराती थिएटर में उनकी बहुत अधिक प्रशंसा की गई. वह एक प्रशिक्षित और प्रतिभाशाली अभिनेत्री थीं, जिनकी अभिनय शैली में गहराई और विविधता थी. उन्होंने अपने जीवनकाल में कला के प्रति अपनी समर्पित भावना के लिए कई सम्मान प्राप्त किए. दीना पाठक का निधन 11 अक्टूबर 2002 को हुआ. उनकी बेटियां, रत्ना पाठक शाह और सुप्रिया पाठक, भी प्रसिद्ध अभिनेत्रियाँ हैं.

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फ़िल्म निर्माता व वितरक गुलशन राय

गुलशन राय भारतीय सिनेमा के एक फिल्म निर्माता और वितरक थे, जिन्होंने वर्ष 1960 – 90 के दशक तक हिंदी फिल्म उद्योग में बड़ा योगदान दिया. वे अपने प्रोडक्शन हाउस त्रिमूर्ति फिल्म्स (Trimurti Films) के तहत कई हिट फिल्मों के निर्माण के लिए जाने जाते थे. उनका नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में बड़े पैमाने पर बनने वाली और व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों के साथ जुड़ा हुआ है. गुलशन राय न केवल सफल निर्माता थे, बल्कि उन्होंने फिल्मों के वितरण क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

गुलशन राय का जन्म 2 मार्च, 1924 में आज़ादी से पूर्व लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उनका शुरुआती कैरियर फिल्म वितरण में था, जहां उन्होंने कई फिल्मों के वितरक के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण की दुनिया में कदम रखा और त्रिमूर्ति फिल्म्स के तहत कई बड़ी और सफल फिल्मों का निर्माण किया.

गुलशन राय ने कई हिट फिल्में बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफल रहीं और आज भी क्लासिक मानी जाती हैं. उनकी फिल्मों में एक्शन, ड्रामा और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानियाँ शामिल होती थीं.

प्रमुख फिल्में: –

जॉनी मेरा नाम (1970): – देव आनंद और प्राण की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी. यह फिल्म गुलशन राय के लिए एक बड़ी हिट साबित हुई और उनके प्रोडक्शन हाउस त्रिमूर्ति फिल्म्स की पहचान को और मजबूत किया.

दीवार (1975): – यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित और अमिताभ बच्चन अभिनीत इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा में क्रांति ला दी. यह फिल्म गुलशन राय की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है, जिसमें एक गरीब युवक के संघर्ष को दर्शाया गया है.

त्रिशूल (1978): – यह भी यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित और गुलशन राय द्वारा निर्मित एक और हिट फिल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार और शशि कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे.

विधाता (1982): – दिलीप कुमार, संजय दत्त और शम्मी कपूर की प्रमुख भूमिकाओं में यह एक और सफल फिल्म थी, जिसमें गुलशन राय ने निर्माता के रूप में काम किया.

महान (1983): – इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने तीन भूमिकाएँ निभाईं और इसे गुलशन राय ने प्रोड्यूस किया.

मोहरा (1994): – इस एक्शन थ्रिलर फिल्म ने वर्ष 1990 के दशक में धूम मचाई थी और इसे भी गुलशन राय के प्रोडक्शन हाउस त्रिमूर्ति फिल्म्स के तहत बनाया गया था. फिल्म में अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और रवीना टंडन जैसे सितारे थे.

गुलशन राय की फिल्मों में अक्सर बड़े सितारे होते थे और वे उच्च स्तर की प्रोडक्शन वैल्यू के लिए जानी जाती थीं. उनकी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों पर गहरी बातें कही जाती थीं, खासकर भ्रष्टाचार, गरीबी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष. इसके साथ ही उनकी फिल्मों में मनोरंजन का भरपूर तड़का होता था, जो उन्हें व्यावसायिक रूप से सफल बनाता था.

गुलशन राय न केवल फिल्म निर्माता थे, बल्कि वितरक के रूप में भी उन्होंने भारतीय सिनेमा को नया आयाम दिया. उन्होंने कई फिल्मों का वितरण किया, जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुईं. उनकी फिल्म वितरण शैली ने उन्हें फिल्म उद्योग के सबसे महत्वपूर्ण वितरकों में से एक बना दिया.।

गुलशन राय का निधन 11 अक्टूबर 2004 को हुआ. उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय सिनेमा को कई हिट और यादगार फिल्में दीं. उनकी फिल्मों का प्रभाव आज भी हिंदी सिनेमा में देखा जा सकता है. उनके बेटे, राजीव राय, ने भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और “त्रिमूर्ति फिल्म्स” के बैनर तले सफल फिल्में बनाई.

गुलशन राय भारतीय सिनेमा में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं और उनकी बनाई फिल्में आज भी दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. उनकी फिल्मों ने सिनेमा की गुणवत्ता और व्यावसायिक सफलता दोनों में एक उच्च मानदंड स्थापित किया.

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