Dharm

देवताओं के इंजीनियर….

बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी।

प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च।

विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः॥

पूरी दुनिया में एक ऐसा धर्म है जंहा सृष्टि बनाने से लेकर चलाने के लिए कई तरह के देवता हैं. उन्ही देवताओं में एक ऐसे देवता है जिन्हें देवताओं का इंजीनियर भी कहते हैं. उनका नाम है विश्वकर्मा. पौराणिक धर्मग्रन्थों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म के सातवे संतान जिनका नाम वास्तु था और वो शिल्पकार थे. वास्तु के पुत्र का नाम विश्वकर्मा था जो पिता की भांति शिल्पकार थे. ऋग्वेद में विश्वकर्मा सूक्त नाम से 11ऋचाएं लिखी गई हैं यही, सूक्त यजुर्वेद में 17 सूक्त मन्त्र 16 से 31 तक करीब 16 मन्त्र आया है. स्कन्द पुराण में एक श्लोक मिलता है जो उपर लिखा है. इस श्लोक का अर्थ है कि, महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या की जानकार थी. जो अष्टम वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पूर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ. पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी वृहस्पति की बहन लिखा गया है.

भारत में विश्वकर्मा को शिल्पशस्त्र का अविष्कार करने वाला देवता माना जाता है, जबकि चीन मे लु पान को बदइयों का देवता माना जाता है. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार जिसकी सम्यक् सृष्टि और कर्म व्यपार है वही विशवकर्मा है. भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के सूत्रधार कहे गये हैं. स्कंदपुराण में उन्हें देवायतनों का सृष्टा कहा गया है. वास्तुशास्त्र के अनुसार विश्वकर्मा कंबासूत्र, जलपात्र, पुस्तक और ज्ञानसूत्र धारक हैं, हंस पर आरूढ़, सर्वदृष्टिधारक, शुभ मुकुट और वृद्धकाय हैं. पूरी दुनिया की पहली तकनिकी ग्रन्थ विश्वकर्मीय (वास्तु शास्त्र) ग्रन्थ ही माने जाते हैं. इसमें मानव और देववास्तु विद्या को गणित के कई सूत्रों के साथ बताया गया है, ये सब प्रामाणिक और प्रासंगिक हैं. इसी ग्रंथ से पता चलता है कि विश्वकर्मा ने अपने तीन अन्य पुत्रों जय, विजय और सिद्धार्थ को भी ज्ञान दिया. स्कन्द पुराण के काशी खंड में महादेव जी ने पार्वती जी से कहा है कि हे ‘पार्वती’ मैं आप से पाप नाशक कथा कहता हूं. कथा में महादेव जी ने पार्वती जी को विश्वकर्मेश्वर लिगं प्रकट होने की कथा कहते हैं. महाभारत पुराण में वर्णन मिलता है कि, भाद्रपद शुक्ला प्रतिपदा तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पुजा अर्चना करते हैं.

ऋग्वेद के अनुसार शिल्पकारों व रचनाकारों के देवता भगवान विश्वकर्मा है जो ब्रह्मांड के भी रचियता माने जाते हैं. रावण के सौतेले भाई विश्वकर्मा हैं जो भाई के कहने पर त्रिकुट पर्वत पर सोने की लंका का निर्माण किया था. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार विश्वकर्मा ने ही माल्यवान, माली और सुमाली नामक राक्षसों के भी महल बनाये थे. पुष्पक विमान का भी निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. विश्वकर्मा ने भगवान कृष्ण के लिए द्वारिका नगरी का निर्माण किया था. उसके अलावा उन्होंने कई पुरियों का निर्माण, देवो के महल व दैनिक उपयोग में होने वाली वस्तुओं का निर्माण किया. बिहार के औरंगबाद स्थित देव सूर्य मंदिर व देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर का भी निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था. भारतीय संस्कृति के अंतर्गत भी शिल्प संकायो, कारखानो, उद्योगों में भगवान विशवकर्मा की पूजा-अराधना 17 सितम्बर को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

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Engineer of the Gods….

 

Brihasapate Bhagini Bhuvanaa Brahmavadini|

Prabhasasy Tasy Bharya Basunamashtamsy|

Vishwakarma Sutstsyshilpakrta Prajapati: ||

There is a religion in the whole world where there are many types of gods to create and run the world. Among those gods, there is a god called the engineer of gods. His name is Vishwakarma. According to the ancient scriptures, the seventh child of Brahma ji’s son Dharma was named Vastu and he was a craftsman. Vastu’s son was Vishwakarma, a craftsman like his father. In Rigveda, 11 hymns have been written in the name of Vishwakarma Sukta. In Sukta Yajurveda, there are 17 Sukta Mantras from 16 to 31, and about 16 mantras are found. A verse is found in Skanda Purana which is written above. The meaning of this verse is that Bhuvana, the sister of Maharishi Angira’s eldest son, who was an expert in Brahmavidya, became the wife of the eighth Vasu Maharishi Prabhas and from her Prajapati Vishwakarma, the knower of the entire craft knowledge, was born. Somewhere in the Puranas, the names Yog Siddha and Varstri are also written as Brihaspati’s sister.

In India, Vishwakarma is considered the god who invented Shilpshastra, while in China, Lu Pan is considered the god of carpentry. According to the mythological texts, the one who has proper creation and work is Vishwakarma. Lord Vishwakarma is said to be the architect of the creation. In Skanda Purana, he is said to be the creator of the temples. According to Vastu Shastra, Vishwakarma holds the Kambasutra, water pot, book and Gyansutra, rides on a swan, has all the vision, has an auspicious crown and is old. Vishwakarmiya (Vastu Shastra) is considered to be the first technical text of the world. In this, human and divine Vastu Vidya has been explained with many mathematical formulas, all of which are authentic and relevant. It is known from this text that Vishwakarma also imparted knowledge to his three other sons Jai, Vijay and Siddharth. In Kashi Khand of Skanda Purana, Mahadev Ji has said to Parvati Ji O Parvati, I am telling you the story of the destruction of sins. In the story, Mahadev Ji tells Parvati Ji the story of the appearance of Vishwakarmeshwar Linga. It is mentioned in Mahabharata Purana that, on Bhadrapada Shukla Pratipada Tithi, Lord Vishwakarma is worshipped.

According to Rigveda, the god of craftsmen and creators is Lord Vishwakarma who is also considered the creator of the universe. Vishwakarma is Ravana’s stepbrother who built the golden Lanka on Trikut Mountain at the behest of his brother. According to mythological texts, Vishwakarma also built the palaces of demons named Malyavan, Mali and Sumali. Pushpak Viman was also built by Lord Vishwakarma. Vishwakarma built the city of Dwarika for Lord Krishna. Apart from that, he built many cities, palaces of gods and things of daily use. The Dev Surya Mandir in Aurangabad, Bihar and the Baidyanath Mandir in Deoghar were also built by Lord Vishwakarma. In Indian culture too, the worship of Lord Vishwakarma is celebrated with great fervour on 17 September in craft departments, factories and industries.

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