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गुलदाउदी…

जाड़े के मौसम में गुनगुनी धुप का आनंद लेने के लिए पार्कों, मैदानों या घरों में लोग इसका आनंद लेते है. जाड़े के मौसम में कई प्रकार के फूल पैदा होते हैं जो दिखने में आकर्षक, सुंदर और रंग-बिरंगे होते हैं जो मन को मोहित करते हैं साथ ही इन फूलो को देखने के बाद दिल बाग़-बाग़ हो जाता है. इस इस मौसम में कई प्रकार के फूल होते हैं उनमे एक ऐसा फूल है जिसे स्वर्णपुष्प कहते है, और आम भाषा में इसे गुलदाउदी भी कहा जाता है. यह एक ऐसा पौधा है जो शरद ऋतू में ही फलता-फूलता है और यह चीन का पौधा है, जो पूरी दुनिया में इसे सजावटी पौधे के रूप में जाना जाता है. इस पौधे को सर्वप्रथम चीन से यूरोप भेजा गया था. बताते चलें कि, इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध उपवन क्यू (Kew) में इसे सबसे पहले उत्पन्न किया गया था. गुलदाउदी के पौधे का वानस्पतिक नाम क्राइसैंथिमस इंडिकम (Chrysanthemum indicum Linn) है और यह इनफेरी (Inferae) श्रेणी के अंतर्गत द्विदलीय (Dicotyledon) वर्ग से आता है. ग्रीक भाषा के अनुसार क्राइसैंथिमम शब्द का अर्थ होता है स्वर्णपुष्प. इसकी लगभग 30 प्रजातियाँ एशिया और पूर्वोत्तर यूरोप में पाया जाता है.

गुलदाउदी का पौधा शाक (herbs) की श्रेणी में आता है और इसकी जड़ें मुख्यतया प्रधान मूल, शाखादार और रेशेदार होती हैं. इसका तना कोमल, सीधा तथा कभी कभी रोएँदार होता है और इसकी पत्तियाँ एकांतर (alternate) सम, पालिवत्‌ होती हैं, परंतु उनकी कोर कटी तथा विभाजित होती हैं. पुष्पों के संग्रहीत होने के कारण पुष्पक्रम (inflorescence) एक मुंडक (capitulum) या शीर्ष (head) होता है. खिले हुए फूल के पौधे के शिखर पर एक लंबे डंठल के ऊपर स्थित होता है और इसी डंठल के निचले भाग से और भी पुष्पक्रम निकलते हैं, जो सामूहिक रूप से एक समशिख (corymb) बना देते हैं, जो विषमयुग्मीय और रश्मीय (rayed) होता है. रश्मिपुष्प मादा और एकक्रमिक होते हैं और उनकी जिह्विका फैली हुई, सफेद पीली, नीली या गुलाबी होती है. बिंबपुष्प द्विलिंगी तथा नलिकावत्‌ होते हैं और, इनका दलचक्र युक्तदल होता है और ऊपर जाकर चार या पाँच भागों में विभाजित हो जाता है. भीतरी निपत्र रसदार सिरेवाले एवं बाहरी छोटे और प्राय: नसदार रंगीन किनारे वाले होते हैं साथ ही परागकोष का निचला भाग गोल होता है. गुलदाउदी के फल एकीन (achene) प्रकार के बनते हैं और ये अर्धवृत्ताकार, कोणीय, पंखदार, होते हैं साथ ही बाह्यदलरोम (pappus) छोटे अथवा अनुपस्थित होते हैं.

मुख्यत: गुलदाउदी को बीजांकुर द्वारा उगाई जाती है, जिसे वर्धीप्रचारण (vegetative propagation) भी कहते हैं. इसके पौधे को लगाने के लिए महीन दोमट मिटटी लगभग बराबर भाग वाले, सड़ी हुई पत्तियों तथा बालू और थोड़ी सी राख के मिश्रण में गुलदाउदी की अच्छी वृद्धि होती है. गमले में इस मिश्रण को भर दें उसके बाद पानी डाल दें. करीब एक घंटे के बाद इसकी कलमों को सीधे लगाते हैं. बताते चलें कि गुलदाउदी की कुछ जातियों के फूल में कीटनाशक गुणवाले होते हैं.

गुलदाउदी के फूलों का उपयोग चूर्ण और अर्क बनाने में भी होता है. ईरान में पैदा होने वाले गुलदाउदी के कुछ प्रजाति जैसे:- क्राइसैंथिमम कॉक्सिनियम (C. coccineum) तथा क्राइसैंथिमम मार्शलाई (C.marschalli) और क्राइसैंथिमम सिनेरेरिईफोलियम (C. Cinerariaefolium) डलमैशिया. पाईथ्रोम कीड़ों पर ही प्रभाव डालता है, मनुष्यों को इससे कोई हानि नहीं होती, अत: इसका प्रयोग घर में खटमल, मच्छर आदि के नाश के लिए किया जाता है. पाईथ्रोम कीड़ों पर ही प्रभाव डालता है, मनुष्यों को इससे कोई हानि नहीं होती, अत: इसका प्रयोग घर में खटमल, मच्छर आदि के नाश के लिए किया जाता है तथा पाईथ्रोम का अत्यंत महीन चूर्ण उद्यानों में कीटनाशक के रूप में सफल सिद्ध हुआ है, यद्यपि आजकल पाईथ्रोम का छिड़काव ही मुख्यतया उपयोग में लाया जाता है. इन सब के अलावा गुलदाउदी के पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक दबाई के रूप में भी किया जाता है जैसे:- मुंह के छाले, नकसीर, हृदय कि दुर्बलता, बबासीर, मूत्र रोग, आग से जलने पर और पथरी.

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Golden flower or chrysanthemum…

People enjoy it in parks, grounds, or homes to enjoy the lukewarm sunlight in the winter season. Many types of flowers are produced in the winter season, which are attractive, beautiful, and colorful in appearance, which fascinates the mind, and after seeing these flowers, the heart becomes like a garden. There are many types of flowers in this season, among them, there is a flower which is called Swarnapushpa, and in common language, it is also called Chrysanthemum. It is a plant that flourishes only in autumn and it is a plant of China, which is known as an ornamental plant all over the world. This plant was first sent to Europe from China. Let us tell you that it was first produced in the famous Kew Park in England. The botanical name of the chrysanthemum plant is Chrysanthemum Indicum Linn and it comes from the Dicotyledon class under the Inferae category. According to the Greek language, the word Chrysanthemum means golden flower. About 30 species are found in Asia and Northeast Europe.

The Chrysanthemum plant comes under the category of herbs and its roots are mainly taproot, branched, and fibrous. Its stem is soft, straight, and sometimes hairy and its leaves are alternate, palivat, but its core is cut and divided. The inflorescence is a capitulum or head because of the storage of flowers. The open flower is located on a long peduncle at the top of the plant, and from the lower part of the same peduncle, there are more inflorescences, which collectively form a corymb, which is heterozygous and rayed. Is. The ray flowers are female and alternate and their tongue is wide, white, yellow, blue, or pink. Bibmapushpa is bisexual and tuberous and, their dalchakra is conjoined and divides into four or five parts by going up. The inner petals are juicy and the outer ones are small and often veined with colored edges, as well as the lower part of the anther is round. Chrysanthemum fruits are made of achene type and are semicircular, angular, winged, with pappus small or absent.

Mainly chrysanthemum is grown by seeds, which is also called vegetative propagation. To plant this plant, the chrysanthemum grows well in a mixture of fine loamy soil with almost equal parts, rotten leaves, sand, and a little ash. Fill this mixture in the pot and then add water. After about an hour, its cuttings are planted directly. Let us inform you that the flowers of some species of chrysanthemum have insecticidal properties.

Chrysanthemum flowers are also used to make powder and extracts. Some species of chrysanthemums produced in Iran such as:- Chrysanthemum coccineum (C. coccineum) and Chrysanthemum marshalli (C.marschalli) and Chrysanthemum cinerariaefolium (C. Cinerariaefolium) Dalmatia. Pithrom affects only insects, it does not cause any harm to humans, so it is used to destroy bedbugs, mosquitoes, etc. in the house. Pythrom affects insects only, it does not cause any harm to humans, hence it is used for the destruction of bedbugs, mosquitoes, etc. in the house and a very fine powder of pythrom has proved to be successful as an insecticide in gardens. Although nowadays spraying of pythrom is mainly used. Apart from all these, the chrysanthemum plant is also used in the form of Ayurvedic medicine such as:- Mouth ulcers, nosebleeds, heart weakness, piles, urinary diseases, and burns due to fire and stones.

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