
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहला शब्द है फोटो (Photo) और दूसरा शब्द है सिंथेसिस (synthesis). इसमें फोटो (photo) का अर्थ है “प्रकाश” और सिंथेसिस (synthesis) का अर्थ होता है “बनाना”. दुसरे शब्दों में कहें तो… सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया को ही प्रकाश संश्लेषण कहते हैं.
आसन शब्दों में कहें तो, प्रकाश संश्लेषण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल (पानी) एवं कार्बन डाईऑक्साइड के संयोग से कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ते हैं.
6CO6 + 12H2O = C6H12O6 + 6H2O + CO2
प्रकश संश्लेषण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें हरे पौधे सूर्य के प्रकाश को हरितलवक की सहायता से अवशोषित करके इस प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं और कार्बनिक पदार्थ के रूप में पौधे में संचित(जमा) हो जाता है. यूँ कहें कि, हरे पौधे के खाना पकाने की प्रक्रिया को ही प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहते हैं.
प्रकाश संश्लेषण के हरे भाग मुख्यत: पत्तियाँ, कभी-कभी हरे तने एवं पुष्प कलिकाओं द्वारा भी होता है. पत्तियों की विशिष्टीकृत कोशिकाएँ जिन्हें मीसोफिल कहते हैं, उनमें हरितलवक पाये जाते हैं और ये हरितलवक ही प्रकाश संश्लेषण के वास्तविक केंद्र होते हैं.
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के चरण…
- क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश उर्जा को अवशोषित करना,
- प्रकाश उर्जा को रासायनिक उर्जा में रूपांतरित करना,
- जल के अणुओं का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में अपघटन,
- कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन (Reduction).
पेड़-पौधे में उपस्थित क्लोरोफिल के कारण उसकी पत्तियाँ हरे रंग की दिखती है. पत्तियों की कोशिकाओं (Cells) में हरे रंग के बिन्दु कोशिकांग (Cell Organelles) होते हैं जिन्हें हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट Chloroplast) भी कहा जाता है जिनमें क्लोरोफिल रसायन होता है. हरी पत्तियों में उपस्थित ये क्लोरोफिल, सूर्य के प्रकाश से उर्जा अवशोषित कर रासायनिक परिवर्तन द्वारा रासायनिक उर्जा में बदल देती हैं. क्लोरोफिल द्वारा सूर्य की प्रकाश से प्राप्त उर्जा इस जल को हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के अणुओं में विखंडित (Split) कर देती है.
पत्तियों की सतह पर सूक्ष्म धिद्र होते हैं, जिन्हें रंध्र छिद्र (Stomatal Pore) भी कहा जाता है. इन रंध्र छिद्रों (Stomatal Pore) के द्वारा पत्तियाँ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करती हैं. इन्ही रंध्र छिद्रों (Stomatal Pore) की सहायता से ही पत्तियों में गैस का आदान-प्रदान होता है.